Chali Jati hai-Saaj Mevada-चली जाती है
गझल
हर साल आती है, चली जाती है,
वो मेरे सनमसी हुई जाती है.
आंखे दिखा जबसे उसे छेडी है,
आफतेबला हसके चली जाती है.
पूछो कभी ये मौसमेबहार को,
है क्या नशा, क्यों भूल हुई जाती है?
दिनमें कभी वो चांदको देखा है,
पर चांदनी रात, कही जाती है.
मालूमथा कि ‘साज’, वो आयेगा,
ये बेकरारी क्यों बढी जाती है?
-‘साज’ मेवाडा.
છંદ – ગાગાલગા ગાગાલગા ગાગાગા
Nice 1 Doc Saa’b
Thanks, GP ji.